Surya Namaskar in Hindi
इस पोस्ट में सूर्य नमस्कार क्या (Surya Namaskar in Hindi) है सूर्य नमस्कार कैसे करें, सूर्य नमस्कार के 12 चरण, सूर्य नमस्कार के लाभ आदि सभी बिंदुओं के बारे में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई गई है। Surya Namaskar in Hindi

सूर्य नमस्कार का सामान्य अर्थ होता है सूर्य को नमस्कार करना। आप सूर्य नमस्कार को अपने दैनिक योग में स्थान दे सकते है। यह हमारे शारीर को स्फूर्ति देता है। अतिनिद्रा को दूर करता है तथा शरीर एवं मन को आसान, प्राणायम एवं ध्यान के अभ्यास से अधिकतम लाभ के लिए तैयार करता है। यह समस्त जोड़ों को ढीला करता है तथा मांशपेशियों को लचीला कर आंतरिक अंगों की मालिश करता है। साँस एवं रक्त परिवाहन प्रणालियों को अधिक सक्षम और सक्रिय करता है। सूर्य नमस्कार पुरे शारीर एवम मन को संतुलित करता है।
सूर्य नमस्कार आप कभी भी और कहीं भी कर सकते है। यह केवल खाने के तुरंत बाद नहीं करना चाहिए, इसमें दो-तीन घंटे का अन्तर होना चाहिए। अगर आप दिन में आलस या थकान महसूस कर रहे है तब भी आप तीन-चार चक्कर सूर्य नमस्कार कर सकते है। यदि आप क्रोध या निराशा के भाव से भर गए है तब भी आप इसे कर सकते है, आपको इससे लाभ होगा।
सूर्य नमस्कार कैसे करें
(1) प्रणामसन : दोनों हाथों को जोड़कर सीधे खड़े हो जाएं। अपनी आँखों को बंद कर लें। अब ध्यान ‘आज्ञा चक्र’ पर केंद्रित करके ‘सूर्य भगवान’ का आह्वान ‘ॐ मित्राय नमः’ मंत्र के द्वारा करें। श्वास सामान्य रखें। यह हमारे शारीर और मन में एकाग्रता और शांत मानसिक अवस्था लती है। Surya Namaskar in Hindi
(2) हस्त उत्तानासन : श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें तथा भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं। ध्यान को गर्दन के पीछे ‘विशुद्धि चक्र’ पर केन्द्रित करें। इस क्रिया से पेट के सभी अंगों में खिंचाव होता है जिससे पाचन में सुधर आता है। इससे हांथों और कन्धों की पेशियों का कसरत होता है। यह मेरुदंड की तंत्रिकाओं को शक्ति प्रदान करता है तथा फेफड़ों को फैलता है। यह बढ़े हुए वजन कम करता है।
(3) पाद हस्तासन : तीसरी स्थिति में श्वास को धीरे-धीरे बाहर छोड़ते हुए शरीर को आगे की ओर झुकाएं। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं भूमि का स्पर्श करें। इस क्रम में आपके घुटने सीधे होने चाहिए। अपने सिर को घुटनों का स्पर्श कराते हुए ध्यान नाभि के पीछे ‘मणिपूरक चक्र’ पर केन्द्रित करें और कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें। कमर एवं रीढ़ के दोष वाले साधक न करें। इससे पेट का बढ़ा हुआ भाग नियंत्रण में आता है तथा पाचन में सुधार होता है। Surya Namaskar in Hindi
(4) इसी स्थिति में श्वास को भरते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। छाती को खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को अधिक पीछे की ओर झुकाएं। टांग तनी हुई सीधी पीछे की ओर खिंचें और पैर का पंजा खड़ा करके रखें। इस स्थिति में कुछ समय रुकें। ध्यान को ‘स्वाधिष्ठान’ अथवा ‘विशुद्धि चक्र’ पर ले जाएँ। मुखाकृति सामान्य रखें।
सूर्य नमस्कार के चरण Surya Namaskar in Hindi
(5) श्वास को धीरे-धीरे बाहर निष्कासित करते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं। दोनों पैरों की एड़ियां परस्पर मिली हुई हों। पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें और एड़ियों को भूमि पर मिलाने का प्रयास करें। नितम्बों को अधिक से अधिक ऊपर उठाएं। गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कण्ठकूप में लगाएं। ध्यान ‘सहस्रार चक्र’ पर केन्द्रित करने का अभ्यास करें। Surya Namaskar in Hindi
(6) स्वंस भरते हुए शरीर को पृथ्वी के समानांतर, सीधा साष्टांग दण्डवत करें और पहले घुटने, छाती और माथा पृथ्वी पर लगा दें। नितम्बों को थोड़ा ऊपर उठा दें। श्वास छोड़ दें। ध्यान को ‘अनाहत चक्र’ पर टिका दें। श्वास की गति सामान्य करें।
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(7) इस स्थिति में धीरे-धीरे श्वास को भरते हुए छाती को आगे की ओर खींचते हुए हाथों को सीधे कर दें। गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं। घुटने पृथ्वी का स्पर्श करते हुए तथा पैरों के पंजे खड़े रहें। मूलाधार को खींचकर वहीं ध्यान को टिका दें। Surya Namaskar in Hindi
(8) श्वास को धीरे-धीरे बाहर निष्कासित करते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं। दोनों पैरों की एड़ियां परस्पर मिली हुई हों। पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें और एड़ियों को भूमि पर मिलाने का प्रयास करें। नितम्बों को अधिक से अधिक ऊपर उठाएं। गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कण्ठकूप में लगाएं। ध्यान ‘सहस्रार चक्र’ पर केन्द्रित करने का अभ्यास करें।
सूर्य नमस्कार के लाभ
(9) इसी स्थिति में श्वास को भरते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। छाती को खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को अधिक पीछे की ओर झुकाएं। टांग तनी हुई सीधी पीछे की ओर खिंचाव और पैर का पंजा खड़ा हुआ। इस स्थिति में कुछ समय रुकें। ध्यान को ‘स्वाधिष्ठान’ अथवा ‘विशुद्धि चक्र’ पर ले जाएँ। मुखाकृति सामान्य रखें। Surya Namaskar in Hindi
(10) तीसरी स्थिति में श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकाएं। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श करें। घुटने सीधे रहें। माथा घुटनों का स्पर्श करता हुआ ध्यान नाभि के पीछे ‘मणिपूरक चक्र’ पर केन्द्रित करते हुए कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें। कमर एवं रीढ़ के दोष वाले साधक न करें।
(11) श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें तथा भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं। ध्यान को गर्दन के पीछे ‘विशुद्धि चक्र’ पर केन्द्रित करें।
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(12) यह स्थिति – पहली स्थिति की भाँति रहेगी। सूर्य नमस्कार की उपरोक्त बारह स्थितियाँ हमारे शरीर को संपूर्ण अंगों की विकृतियों को दूर करके निरोग बना देती हैं। यह पूरी प्रक्रिया अत्यधिक लाभकारी है। इसके अभ्यासी के हाथों-पैरों के दर्द दूर होकर उनमें जान आ जाती है। गर्दन, फेफड़े तथा पसलियों की मांसपेशियां सशक्त हो जाती हैं, शरीर की फालतू चर्बी कम होकर शरीर हल्का-फुल्का हो जाता है। Surya Namaskar in Hindi
सूर्य नमस्कार के दौरान सावधानी
सूर्य नमस्कार बच्चे स्त्री, पुरुष एवं वृद्ध सभी कर सकते है। केवल गर्भवती स्त्रियाँ गर्भ के चौथे माह के बाद सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए। बच्चे के जन्म के बाद इसे पुनः शुरू किया जा सकता है। मासिक स्राव के समय भी आप इसे न करें। स्लिप डिस्क, उच्च रक्तचाप, ह्रदय रोग आदि के मरीज को भी सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए। (Surya Namaskar in Hindi)